हिंदू धर्म में भगवान राम का नाम घर घर में प्रचलित है। भगवान राम के नाम भर से हिंदू धर्म के व्यक्ति की पहचान मिल जाती है। भगवान राम ने रावण जैसे बलशाली असुर का नाश करके बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रसार किया था। भगवान राम चालीसा का गुणगान करने वाले व्यक्ति के जीवन में सदा सुखों का राज प्राप्त होता है। अगर आप Shri Ram Chalisa In Hindi में पढ़ना पसंद करते है तो आप इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें। इसके साथ ही आप यहां राम चालीसा के चमत्कारी फायदों के बारे में जानेंगे।
राम का वैवाहित जीवन
रामायण के अनुसार राम की एकमात्र पत्नी सीता थी। एक स्वयंबर के आयोजन में श्री राम ने धनुष तोड़कर, माता सीता को अपनी पत्नी के रूप में ग्रहण किया था। इंटरनेट पर सवालों की लिस्ट में यह सवाल भी देखा जा सकता है कि श्री राम की कितनी पत्नियां थी? जानकारी के लिए बताना चाहेंगे कि जब सीता माता पृथ्वी लोक को छोड़कर चली गई, तो इसके उपरांत श्री राम ने कभी अन्य स्त्री को पत्नी के रूप में स्वीकार नहीं किया। परिणामस्वरूप श्री राम की सिर्फ एक ही पत्नी थी।
भगवान राम का वैवाहित जीवन काफी कष्टप्रद रहा था। इस दौरान उन्हें 14 वर्ष का बनवास झेलना पड़ा था। जहां पर उनके साथ अनेकों घटनाए घटित हुई। इस वनवास के दौरान रावण ने माता सीता का हरण कर लिया था। भगवान राम को अपनी पत्नी के वियोग में वनों में भटकना पड़ा था।
रावण की लंका तक पहुंचने के लिए श्री राम को सुग्रीव की सेना का साथ मिला। जिसके परिणामस्वरूप राम ने रावण से युद्ध करके माता सीता को रावण की लंका से मुक्त किया था और तब भगवान राम और सीता, लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे थे। इस समय अयोध्या में खुशी का माहोल था। इसी अवसर पर रामदशमी या दशहरा जैसा पर्व मनाया जाता है।
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राम चालीसा पढ़ने के फायदे
राम चालीसा करने से किसी भी व्यक्ति को अनेकों लाभ मिलते हैं। अगर आप इन सभी लाभ को विस्तार से जानना चाहते हैं तो नीचे बताए गए सभी फायदों को जरूर पढ़ें।
- राम चालीसा पढ़ने वाले बुरी संगति से से हमेशा दूर रहते हैं।
- राम चालीसा का जाप कर वाले लोगो को मान सम्मान की प्राप्ति होती है।
- इस चालीसा का जाप करें से हर तरह के शत्रु का नाश होता है।
- इसका जाप करने से घर परिवार में सुख शांति बनी रहती है।
- इस चालीसा का जाप करने वाले व्यक्ति को चरित्रवान पत्नी की प्राप्ति होती है।
- राम चालीसा से आंतरिक मन को शांति मिलती है।
राम चालीसा की करने की विधि
राम चालीसा करने के लिए खूबसूरत विधि का प्रसार है। अगर आप राम चालीसा विधि से अनजान है, तब आपको नीचे बताई गई विधि को जरूर पढ़ना चाहिए।
- सबसे पहले स्वच्छ होकर राम की पूजन स्थल पर पीले रंग के कपड़े से आसान बनाए।
- उसी जगह पर श्री राम जी को विराजित करें।
- अब राम जी को दूध, दही, घी, शहद का भोग लगाएं।
- किसी पूजा कलश में गंगा जल रखकर मंदिर के सामने रखें।
- इसके उपरांत राम जी को रोली, पुष्प अर्पित करके, अगरबत्ती जलाकर भगवान को अर्घ्य दें।
- उनके चरणों में कला पुष्प अर्पित करना चाहिए।
- पूजा की थाली में दीप और कपूर जलाकर आरती करे और मंत्रो का जाप करें।
- आखिर में आरती समापन के उपरांत घर में गंगाजल का छिड़काव करे।
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Shri Ram Chalisa In Hindi में पढ़ें
श्री राम चालीसा का गुणगान बड़े बड़े महापुरुष करते है। राम जी की आरती के समय मंत्रो का जाप करना बड़ा ही सुखदाई महसूस कराता है। अगर आप भी राम जी के मंत्रो का जाप करना चाहते है, तो नीचे दी गई राम चालीसा को जरूर पढ़ें।
Shri Ram Chalisa in Hindi
॥ दोहा ॥
आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनं
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणंली निर्दलं समुद्र तरणं लङ्कापुरी दाहनम्
पश्चद्रावनं कुम्भकर्णं हननं एतद्धि रामायणं॥चौपाई॥
श्रीरघुबीरभक्तहितकारी।
सुनिलीजैप्रभुअरजहमारी॥निशि दिन ध्यान धरै जो कोई ।
ता सम भक्त और नहिं होई ॥ध्यानधरेशिवजीमनमाहीं।
ब्रह्माइन्द्रपारनहिंपाहीं॥जय जय जय रघुनाथ कृपाला ।
सदा करो सन्तन प्रतिपाला ॥दूततुम्हारवीरहनुमाना।
जासुप्रभावतिहूँपुरजाना॥तुव भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला ।
रावण मारि सुरन प्रतिपाला ॥तुमअनाथकेनाथगोसाईं।
दीननकेहोसदासहाई॥ब्रह्मादिक तव पार न पावैं ।
सदा ईश तुम्हरो यश गावैं ॥चारिउवेदभरतहैंसाखी।
तुमभक्तनकीलज्जाराखी॥गुण गावत शारद मन माहीं ।
सुरपति ताको पार न पाहीं ॥ 10 ॥नामतुम्हारलेतजोकोई।
तासमधन्यऔरनहिंहोई॥
राम नाम है अपरम्पारा ।
चारिहु वेदन जाहि पुकारा ॥गणपतिनामतुम्हारोलीन्हों।
तिनकोप्रथमपूज्यतुमकीन्हों॥शेष रटत नित नाम तुम्हारा ।
महि को भार शीश पर धारा ॥फूलसमानरहतसोभारा।
पावतकोउनतुम्हरोपारा॥भरत नाम तुम्हरो उर धारो ।
तासों कबहुँ न रण में हारो ॥नामशत्रुहनहृदयप्रकाशा।
सुमिरतहोतशत्रुकरनाशा॥लषन तुम्हारे आज्ञाकारी ।
सदा करत सन्तन रखवारी ॥तातेरणजीतेनहिंकोई।
युद्धजुरेयमहूँकिनहोई॥महा लक्ष्मी धर अवतारा ।
सब विधि करत पाप को छारा ॥ 20 ॥सीतारामपुनीतागायो।
भुवनेश्वरीप्रभावदिखायो॥घट सों प्रकट भई सो आई ।
जाको देखत चन्द्र लजाई ॥सोतुमरेनितपांवपलोटत।
नवोनिद्धिचरणनमेंलोटत॥सिद्धि अठारह मंगल कारी ।
सो तुम पर जावै बलिहारी ॥औरहुजोअनेकप्रभुताई।
सोसीतापतितुमहिंबनाई॥इच्छा ते कोटिन संसारा ।
रचत न लागत पल की बारा ॥जोतुम्हरेचरननचितलावै।
ताकोमुक्तिअवसिहोजावै॥सुनहु राम तुम तात हमारे ।
तुमहिं भरत कुल- पूज्य प्रचारे ॥तुमहिंदेवकुलदेवहमारे।
तुमगुरुदेवप्राणकेप्यारे॥जो कुछ हो सो तुमहीं राजा ।
जय जय जय प्रभु राखो लाजा ॥ 30 ॥रामाआत्मापोषणहारे।
जयजयजयदशरथकेप्यारे॥जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा ।
निगुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा ॥सत्यसत्यजयसत्य– ब्रतस्वामी।
सत्यसनातनअन्तर्यामी॥सत्य भजन तुम्हरो जो गावै ।
सो निश्चय चारों फल पावै ॥सत्यशपथगौरीपतिकीन्हीं।
तुमनेभक्तहिंसबसिद्धिदीन्हीं॥ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा ।
नमो नमो जय जापति भूपा ॥धन्यधन्यतुमधन्यप्रतापा।
नामतुम्हारहरतसंतापा॥सत्य शुद्ध देवन मुख गाया ।
बजी दुन्दुभी शंख बजाया ॥सत्यसत्यतुमसत्यसनातन।
तुमहींहोहमरेतनमनधन॥याको पाठ करे जो कोई ।
ज्ञान प्रकट ताके उर होई ॥ 40 ॥आवागमनमिटैतिहिकेरा।
सत्यवचनमानेशिवमेरा॥
और आस मन में जो ल्यावै ।
तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै ॥सागपत्रसोभोगलगावै।
सोनरसकलसिद्धतापावै॥अन्त समय रघुबर पुर जाई ।
जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ॥श्रीहरिदासकहैअरुगावै।
सोवैकुण्ठधामकोपावै॥॥ दोहा ॥
सात दिवस जो नेम कर पाठ करे चित लाय ।
हरिदास हरिकृपा से अवसि भक्ति को पाय ॥राम चालीसा जो पढ़े रामचरण चित लाय ।
जो इच्छा मन में करै सकल सिद्ध हो जाय ॥
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