Saraswati Mata Ki Aarti : सनातन धर्म में सरस्वती माता की पूजा खास रूप से की जाती है। जो मनुष्य अज्ञानी होता है, इन माता की आरती से ज्ञानवान बन जाता है। माता सरस्वती ने संसार में संगीत की उत्पत्ति की थी, इसी कारण किसी संगीतवादक के लिए मां सरस्वती पूजनीय हैं। अगर आप Saraswati Mata Ki Aarti करने की जिज्ञासा रखते हैं तब आपको यह आर्टिकल अंत तक जरूर पढ़ना चाहिए, क्योंकि इसमें मां सरस्वती की आरती से जुड़ी हर महत्वपूर्ण बातो का जिक्र किया गया है।
सरस्वती माता की कहानी
जैसा की हम सभी जानते है ब्रम्हा जी दुनिया के रचनाकार हैं। श्रृष्टि में मौजूद कण कण की उत्पत्ति ब्रम्ह देव के हाथों से हुई है। लेकिन सब कुछ रचने के उपरांत ब्रम्हा जी अपनी रचना से संतुष्ट नहीं थे। तब उन्होंने अपने कलशमंडल के जल द्वारा एक स्त्री की रचना की। जिसका स्वरूप मंगुग्द कर देने वाला था। तब ब्रम्ह देव ने इस स्त्री की परीक्षा लेनी चाही। उनके द्वारा इस स्त्री को वीणा वादन के लिए कहां गया। तब उनके वीणा से निकलने वाली हर ध्वनि संसार का महत्वपूर्ण हिस्सा बनी, और उस स्त्री ने ब्रम्हा की यह परीक्षा पूर्ण कर ली। ब्रह्म जी ने अनेकों गुणो को इस स्त्री के अंदर समाहित कर दिया, जिसके उपरांत उनका नाम सरस्वती पड़ा। इस तरह से मां सरस्वती दुनिया में विख्यात हो गई।
हिंदू धर्मों के अनुसार ब्रम्ह देव ने सरस्वती माता से शादी की थी। इसके पीछे माता सरस्वती का सर्वगुण संपन्न और शुशील होना था। जैसा की हम सभी जानते है ब्रम्ह देव ने माता सरस्वती की उत्पत्ति की थी। उत्पत्ति के उपरांत दुनिया में उनके जैसा स्त्री कोई नही थी। संसार में उनकी सुरक्षा हेतु ब्रम्हा जी ने उनसे शादी करने का निर्णय लिया। लेकिन मां सरस्वती ब्रम्हा जी को अपना पिता मानती थी। इसी कारण सरस्वती जी ब्रह् देव से शादी नही करना चाहती थी। परिणावस्वरूप सरस्वती जी संसार के हर कोने से अदृश्य हो गई। लेकिन सृष्टि के रचयिता ब्रम्ह देव की दृष्टि ओझल ना हो सकी। और अंत में उन्हें ब्रम्हा जी की आज्ञा का पालन करना पड़ा। इस तरह से ब्रम्हा जी के साथ मां सरस्वती पत्नी के रूप में प्रचलित हो गईं।
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सरस्वती माता की आरती करने के फायदे
माता सरस्वती की आरती के अनेकों चमत्कारी फायदे है, अगर आप इनके बारे में नही जानते तो नीचे बताए गए फायदों को जरूर पढ़ें।
- सरस्वती माता की आरती करने वाले सर्वगुण संपन्न हो जाते हैं।
- इनकी आरती से अज्ञानता की काली चाहता है मनुष्य से कोशो दूर हो जाती है।
- माता सरस्वती की आरती करने वालों के जीवन में उनके अंदर छुपी विभिन्न कलाओं का सपना पूर्ण होता है।
- सरस्वती माता की आरती करने से आंतरिक मन को शांति पहुंचती है।
सरस्वती माता की आरती कैसे करें
माता सरस्वती की आरती करना बेहद ही आसान है, अगर आप इनकी आरती की पूर्ण विधि नही जानते, तो आपको नीचे बताई गई बातों को जरूर पढ़ना चाहिए।
- माता सरस्वती की पूजा करने से पहले प्रातः काल खुदको तन मन से स्वच्छ कर लेना चाहिए।
- इसके उपरांत पीले वस्त्रों को ग्रहण करना चाहिए।
- इसके बाद माता सर्वस्वती के तस्वीर या मूर्ति की सज्जा करें।
- माता सरस्वती के पैरो को स्वेत चंदन के साथ रंगना चाहिए।
- इसके बाद एक कलश में जल भर के मूर्ति के पास रखें।
- माता को भोग लगाने के लिए हल्दी, चावल, मिष्ठान, दही, हलवा जैसी सामग्री को उनके पास रखें।
- अगरबत्ती जलाकर माता को अर्घ्य दें।
- इसके उपरांत माता के सामने हाथ जोड़कर उनका आरती का उच्चारण करना चाहिए।
Saraswati Mata Ki Aarti in Hindi में पढ़ें
माता सरस्वती की आरती करते समय अगर आपको मंत्र उच्चारण करने में दिक्कत आतीं है या फिर आपको मंत्र याद नही है। तब आप नीचे बताई गई आरती का स्मरण कर सकते हैं।
सरस्वती माता की आरती
जय सरस्वती माता,
मैया जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी ।
सोहे शुभ हंस सवारी,
अतुल तेजधारी ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
बाएं कर में वीणा,
दाएं कर माला ।
शीश मुकुट मणि सोहे,
गल मोतियन माला ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
देवी शरण जो आए,
उनका उद्धार किया ।
पैठी मंथरा दासी,
रावण संहार किया ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनि,
ज्ञान प्रकाश भरो ।
मोह अज्ञान और तिमिर का,
जग से नाश करो ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
धूप दीप फल मेवा,
माँ स्वीकार करो ।
ज्ञानचक्षु दे माता,
जग निस्तार करो ॥
॥ जय सरस्वती माता…॥
माँ सरस्वती की आरती,
जो कोई जन गावे ।
हितकारी सुखकारी,
ज्ञान भक्ति पावे ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
जय सरस्वती माता,
जय जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥