Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi
हनुमानजी की वीरता और शौर्य पर लिखी हनुमान चालीसा का पाठ दुनियां भर में करा जाता है। हनुमानजी को समर्पित हनुमान चालीसा का लेखन गोस्वामी तुलसीदास जी ने किया था। हनुमान चालीसा में तुलसीदास जी ने हनुमानजी के बचपन से लेकर रामायण काल के दौरान किए गए उनके अनेक और अद्भुत पराक्रमी किस्सों का वर्णन किया है। आपको बता दें कि हनुमान चालीसा में कई ऐसे तथ्य है, जिन्हें विज्ञान भी मानता है। इन्हीं में से एक है, सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी। जिस दूरी का पता वैज्ञानिको को खोजने में कई वर्षों लग गए उस दूरी का वर्णन हनुमान चालीसा में गोस्वामी तुलसीदास जी ने 18वें चौपाई में कर दिया था। इस चौपाई को आप नीचे Hanuman Chalisa Lyrics In Hindi में भी पढ़ सकते हैं।
जानिए कब और कहाँ हुआ हनुमानजी का जनम
हनुमानजी को कई नामों से जाना जाता है, जैसे पवनपुत्र, मारुति नंदन, व संकटमोचन आदि। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार माना जाता है कि वह भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार हैं, और उनके जन्म का उल्लेख कई पौराणिक कथाओं में मिलता है। हनुमानजी का जन्म माता अंजनी और वानर राज केसरी के घर हुआ था। मान्यताओं के अनुसार, माता अंजनी को यह वरदान मिला हुआ था कि उनका होने वाला पुत्र भगवान शिव का अंश होगा।
जानिए हनुमानजी को क्यों मिला था श्राप
बचपन में हनुमानजी का स्वाभाव थोड़ा चंचल था। हनुमानजी साधना व योग में लीन ऋषियों को अपनी शक्ति से परेशान किया करते थे।अपनी इन्हीं शरारतों से वह जंगल के पेड़ों को भी क्षतिग्रस्त कर देते थे। उस वन में बहुत से ऋषि निवास करते थे जो हनुमान के इस उद्दंड स्वाभाव से परेशान थे। तब ऋषियों ने हनुमानजी को श्राप दिया की वह एकसमय तक अपनी सभी शक्तियों को भूल जायेंगे और उनका उपयोग नहीं कर पाएंगे। एक समय के बाद जब उन्हें इसकी सबसे अधिक उपयोग होगा व श्रीराम की सेवा करनी होगी तब किसी ज्ञानी पुरुष के द्वारा उन्हें अपनी शक्तियों को फिर से याद दिलाया जायेगा जिससे उन्हें अपना वही बल व पराक्रम ज्ञात हो जायेगा व वे अभी के समान बलशाली बन जायेंगे। हनुमानजी को सप्त-चिरंजीवी में से एक माना जाता है, जिसके कारण माना जाता है कि वह कलयुग में भी पृथ्वी पर रह रहें हैं।
जानिए क्यों जरुरी है हनुमान चालीसा का पाठ
हनुमान चालीसा का निरंतर पाठ करने से माना जाता है की सभी कष्ट और परेशानी दूर हो जाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो केवल हनुमान चालीसा का निरंतर पाठ करे हनुमानजी उसपर अपनी कृपा सदैव बनाए रखते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार, मंगलवार के दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था। इसी कारण इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है और हर संकट से छुटकारा मिल जाता है। आपको बता दें कि हनुमान चालीसा में 40 छंद हैं जिसके कारण इसको चालीसा कहा जाता है। यदि कोई भी इसका पाठ करता है तो उसे चालीसा पाठ बोला जाता है।
Hanuman Chalisa किसने लिखी थी
किंवदंती के अनुसार, फतेहपुर सीकरी के कारागार के कारावास में ही तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में हनुमान चालीसा लिखी थी। उसी दौरान फतेहपुर सीकरी के कारागार के आसपास ढे़र सारे बंदर आ गए। जहां उन्होंने बड़ा नुकसान किया, तब मंत्रियों की सलाह मानकर बादशाह अकबर ने तुलसीदास जी को कारागार से मुक्त करने का आदेश दिया था। इसके परिणामस्वरूप 40 दिन के समय अंतराल में तुलसीदास जी को कैदी ग्रह से रिहा कर दिया गया था, इसी बीच तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा को पूर्ण रूप से लिखा था।
Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार |
बल बुधि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार ||
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥१॥
राम दूत अतुलित बल धामा
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥२॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी॥३॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुंडल कुँचित केसा॥४॥
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे
काँधे मूँज जनेऊ साजे॥५॥
शंकर सुवन केसरी नंदन
तेज प्रताप महा जगवंदन॥६॥
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर॥७॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मनबसिया॥८॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा॥९॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे
रामचंद्र के काज सवाँरे॥१०॥
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥११॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई॥१२॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावै
अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥१३॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा॥१४॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥१५॥
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥१६॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना॥१७॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू
लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥१८॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही
जलधि लाँघि गए अचरज नाही॥१९॥
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥२०॥
राम दुआरे तुम रखवारे
होत ना आज्ञा बिनु पैसारे॥२१॥
सब सुख लहैं तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना॥२२॥
आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हाँक तै कापै॥२३॥
भूत पिशाच निकट नहि आवै
महावीर जब नाम सुनावै॥२४॥
नासै रोग हरे सब पीरा
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥२५॥
संकट तै हनुमान छुडावै
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥२६॥
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा॥२७॥
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै॥२८॥
चारों जुग परताप तुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा॥२९॥
साधु संत के तुम रखवारे
असुर निकंदन राम दुलारे॥३०॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता॥३१॥
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा॥३२॥
तुम्हरे भजन राम को पावै
जनम जनम के दुख बिसरावै॥३३॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥३४॥
और देवता चित्त ना धरई
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥३५॥
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥३६॥
जै जै जै हनुमान गुसाईँ
कृपा करहु गुरु देव की नाई॥३७॥
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बंदि महा सुख होई॥३८॥
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा
होय सिद्ध साखी गौरीसा॥३९॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥४०॥
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥