Sharda Aarti : हिंदू धर्म में विद्या और ज्ञान के लिए प्रचलित मां शारदा अपने भक्तो के लिए हमेशा से दयावान रही हैं। मां शारदा को सरस्वती माता का रूप माना जाता है। जो मनुष्य सच्चे मन से शारदा माता की आरती करता है, उसे किसी तरह के ज्ञान और धन की कमी नहीं रहती। अगर आप Maa Sharda Aarti के बारे में महत्वपूर्ण बातो को जानना चाहते है, तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े।
मां शारदा की कहानी
प्राचीन कथा के अनुसार, भारत में एक राजा शिक्षक हुआ करता था। राजा की ख्वाहिश थी की वह एक महाविद्यालय का निर्माण करें। लेकिन उसे इस विश्वविद्यालय में किसी विद्वान विधार्थी की जरूरत थी। जोकि आगे शिक्षा के क्षेत्र में मनुष्यों को साक्षर करने में उनकी मदद करे।
एक दिन राजा के सपने में काली माता का अवतरण हुआ, जिसमे माता ने बताया कि उसे एक विश्विद्यालय की स्थापना करनी चाहिए और इस विद्यालय से धर्म की शिक्षा का विस्तार करना चाहिए। इसके साथ ही माता ने बताया कि इस विश्वविद्यालय में शारदा देवी की मूर्ति स्थापित करना चाहिए, इससे उनकी मन की हर मुराद पूरी होगी। इस तरह उस राजा ने मूर्ति को स्थापित कर मां शारदा की पूजा अर्चना को भी प्रचलित कर दिया।
एक अन्य कथा के अनुसार मैहर नामक किसी स्थान पर राजा दुर्जन सिंह राज करते थे। एक दिन उनके गांव का एक ग्वाला गाय चराते हुए घने जंगल में जा पहुंचा। वहां पहुंचकर उसने अपने गायों के झुंड में एक सुनहरी गाय का दृश्य देखा। इस दृश्य को देखकर ग्वाला ने उस गाय के बारे में पता लगाने की कोशिश की। ग्वाला उसके पीछे एक पहाड़ की चोटी पर स्थित गुफा तक पहुंच गया, जहां पहुंचते ही गाय गुफा के अंदर जाते ही अदृश्य हो गई। ग्वाला ने गाय को ढूढने की बहुत कोसिस की, लेकिन गाय कही दिखाई नही दी। इसके कुछ देर बाद एक बूढ़ी औरत वहा से गुजरती है जिसको रोकते हुए ग्वाला उनसे भिक्षा मांगने की चेष्टा करता है क्योंकि वह उनकी उस गाय को चराता था।
ग्वाले का हाल देखते हुए, उस बूढ़ी औरत ने उसे दान में सोने, हीरे, मोती की मालाएं समर्पित कर दी। ग्वाला सब ग्रहण करने प्रसन्न मन से अपने गांव की तरफ लौट जाता है। जब ग्वाला यह बात वहां के राजा को बताता है तब राजा खुद उन्हे देखने का मन बनता है। परंतु उससे पहले ही एक रात को उसके सपने में वही बूढ़ी औरत आती है और आखिर में उसे पता लगता है वह कोई और नहीं बल्कि शारदा माता थी।
मां शारदा की आरती करने से यह फायदे होते है
माता शारदा की आरती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अज्ञानता का नाश होता है। कुछ महत्वपूर्ण फायदे के बारे में जानने के लिए आगे पढ़ें।
- मां शारदा की आरती करने वालों को हमेशा बल, बुद्धि, ज्ञान की कमी नहीं रहती।
- इनकी आरती से विद्यार्थियो के जीवन का पूर्ण रूप से उत्थान होता है।
- मां शारदा की आरती करने वालो के घर में धन की कोई कमी नई रहती।
- मां शारदा की आरती करने से मन में सकारात्मक विचारों की उत्पत्ति होती है।
मां शारदे प्रार्थना करने की सही विधि
मां शारदा की आरती करना अत्यंत ही सरल है किंतु जिन लोगो को इसके बारे में नही पता, वह लोग नीचे दी गई विधि का स्मरण कर सकते हैं।
- मां शारदा की आरती करने से पहले प्रातः काल खुद को साफ सुथरा कर लेना चाहिए।
- घरों में उनकी समाधि की जगह को साफ सुथरा कर लेना चाहिए।
- आरती करने से पहले पीले वस्त्रों को ग्रहण करना चाहिए।
- माता शारदा के साथ भगवान गणेश की तस्वीर भी विराजित करना चाहिए, इसका मुख्य कारण है दोनो ही बुद्धि के देवी और देवता हैं।
- दोनो भगवान की पूजा करते समय मिष्ठान और चावल का भोग लगाना चाहिए।
- अगरबत्ती जलाकर कर दोनो भगवान को अर्घ्य देना चाहिए साथ ही मां शारदा का मंत्र जाप करना चाहिए।
Maa Sharda Aarti हिंदी में पढ़ें
मां शारदा शिक्षा और बुद्धि की प्रचलित देवी हैं। इनकी आरती का बहुत ज्यादा महत्व है। इनके आरती से अज्ञानता का परदा हट जाता है तथा ज्ञान की प्राप्ति होती है। मां शारदा की आरती का गुणगान करने के लिए पूरी आरती आगे पढ़ें।
शारदा आरती / Sharda Aarti
भुवन विराजी शारदा महिमा अपरम्पार ।
भक्तों के कल्याण को धरो मात अवतार ॥
मैया शारदा तोरे दरबार, आरती नित गाऊँ ।
श्रद्धा का दीया प्रीत की बाती, असुअन तेल चढ़ाऊँ ॥
दर्श तोरे पाऊँ, मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ ।
मन की माला आँख के मोती, भाव के फूल चढ़ाऊँ ॥
दर्श तोरे पाऊँ, मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ ।
बल को भोग स्वांस दिन राती, कंधे से विनय सुनाऊँ ॥
दर्श तोरे पाऊँ, मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ ।
तप को हार कर्ण को टीका, ध्यान की ध्वजा चढ़ाऊँ ॥
दर्श तोरे पाऊँ, मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ ।
माँ के भजन साधु सन्तन को, आरती रोज सुनाऊ ॥
दर्श तोरे पाऊँ, मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ ।
सुमर – सुमर माँ के जस गावें, चरनन शीश नवाऊँ ॥
दर्श तोरे पाऊँ, मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ ।
मैया शारदा तोरे दरबारआरती नित गाऊँ ॥
॥ इति माँ शारदा आरती संपूर्णम् ॥