संतोषी माता
संतोषी माता की आरती को व्रत फल दात्री और सब मनोकामनाये पूरी करने वाली देवी क रूप मैं संसार मैं पूजा जाता है , संतोषी माता सनातन धर्म में एक देवी हैं जो भगवान शंकर तथा देवी पार्वती की पौत्री , उनके सबसे छोटे पुत्र भगवान गणेश और गणेश जी की पत्नी ऋद्धि , सिद्धि की पुत्री , कार्तिकेय , अशोकसुन्दरी , अय्यापा , ज्योति और मनसा की भतीजी और शुभ , लाभ की बहन तथा संतोष की देवी हैं। संतोषी माता की आरती का दिवस शुक्रवार माना गया है। इन्हें खीर तथा गुड़ चने का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
संतोषी माँ की आरती और उनकी महिमा
भक्तों का मानना है कि भक्ति और विनम्रता के साथ संतोषी माता की आरती करने से शनि के हानिकारक प्रभावों को कम किया जा सकता है, कठिनाइयों को कम किया जा सकता है और आंतरिक शक्ति और आत्म-जागरूकता को बढ़ावा दिया जा सकता है। संतोषी माता की आरती जीवन के चुनौतीपूर्ण चरणों के दौरान संतोषी माता की दया, समझ और मार्गदर्शन प्राप्त करने के साधन के रूप में कार्य करती है। उतार-चढ़ाव से भरी दुनिया में संतोषी माता की आरती प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने वाले व्यक्तियों को सांत्वना और आशा प्रदान करती है।
संतोषी माता की आरती हिंदी भाषा में प्राप्त है?
हाँ, संतोषी माता की आरती को हम हिंदी भाषा में प्राप्त कर सकते हैं। संतोषी माता की आरती हिन्दू धर्म में प्रमुख है, और इसे मुख्यतः हिंदी में प्रकाशित किया जाता है। हिंदी में प्रप्त करने के साथ-साथ, इसे अन्य भाषाओं में भी प्रकाशित किया गया है, परंतु हिन्दी में प्रप्त करने से समझने में सुलभता होती है।
संतोषी माता की आरती को हमें हर समय प्राप्त करने की सुविधा मिलती है। इंटरनेट पर अनेक वेबसाइटों पर, मोबाइल एप्लिकेशन्स में, और पुस्तकालयों में हम इसे हिंदी में प्राप्त कर सकते हैं। शनि चालीसा का पाठ करके हम समस्त संकटों, प्रलोभनों, और अप्रियता से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।
संतोषी माता की आरती विधि
शुक्रवार का संतोषी माता की आरती से बहुत बड़ा नाता है , इस दिन माता की आरती और व्रत करने से माँ जल्दी खुश हो जाती है माँ की आरती को करने क लिए यह विधि है
1- माता के लाल चुनरी का इंतजाम करना है
2- फिर वह चूनरी माँ की मूर्ति पर चढ़ा देनी है
3-संतोषी माता की आरती के लिए घी का दिया जलाना है
4- प्रसाद के रूप मैं माँ का प्रिय प्रसाद गुड़ , केला , चने दाल भिगोये हुए का इंतजाम करना है,
5- लाल सिंदूर , नारियल कलश का भी इंतजाम जरुरी है
6- फिर मन्त्रों के साथ संतोषी माता की आरती करनी है और अपना अपना व्रत खोलना है ,
संतोषी माता की आरती
अपने सेवक जन को, सुख संपत्ति दाता।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
सुंदर, चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हो।
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे।
मंद हंसत करूणामयी, त्रिभुवन जन मोहे।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ..
स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरे प्यारे।
धूप, दीप, मधुमेवा, भोग धरें न्यारे।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
गुड़ अरु चना परमप्रिय, तामे संतोष कियो।
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
जय शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही।
भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
मंदिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई।
विनय करें हम बालक, चरनन सिर नाई।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै।
जो मन बसे हमारे, इच्छा फल दीजै।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
दुखी, दरिद्री ,रोगी , संकटमुक्त किए।
बहु धनधान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिए।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
ध्यान धर्यो जिस जन ने, मनवांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनंद आयो।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
शरण गहे की लज्जा, राखियो जगदंबे।
संकट तू ही निवारे, दयामयी अंबे।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
संतोषी मां की आरती, जो कोई नर गावे।
ॠद्धिसिद्धि सुख संपत्ति, जी भरकर पावे।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..