Santoshi Mata Ki Aarti / संतोषी माता की आरती हिंदी भाषा में लिखी गई है?
संतोषी माता की आरती / Santoshi Mata Ki Aarti संतोषी माता के प्रमुख पूजन स्थलों में प्रस्तुत किया जाता है। इसके प्रमुख पंक्तियों को हिंदी में लिखकर प्रस्तुत किया जाता है, जो संतोषी माता के प्रमुख स्वरूपों, स्वरूप-लक्ष्मि, सन्नि-लक्ष्मि, आदि की प्रतिष्ठा करती हैं। यह आरती भक्तों के द्वारा प्रमुखतः संतोषी माता के मंदिरों में पाठित की जाती है, जहां श्रद्धालु संतोषी माता के समक्ष इसका पाठ करते हैं।
संतोषी माता की आरती / Santoshi Mata Ki Aarti के प्रमुख पंक्तियों में कौन-कौन से मन्त्र होते हैं?
हिंदी भाषा में Santoshi Mata Ki Aarti प्रस्तुत करने से, भक्तों को संतोषी माता के प्रमुख स्वरूपों आदि की महिमा का अनुभव होता है। ये हैं कुछ प्रमुख स्थल, जहां संतोषी माता की आरती प्रस्तुत की जाती है। इन स्थलों पर श्रद्धालु भक्तों के द्वारा संतोषी माता के प्रमुख स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है, और उनके समक्ष संतोषी माता की महिमा का पाठ किया जाता है।
पहला पंक्ति:
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन की सुख-सम्पति दाता॥
दूसरा पंक्ति:
सुर-मुनि आरती उतारें, भक्तिभाव से मन हरें।
ज्ञान-विज्ञान प्रकाशिका, प्रेम-प्रिया कहलाएं॥
संतोषी माता की आरती /Santoshi Mata Ki Aarti में कुल 2 पंक्तियाँ होती हैं। पहली पंक्ति “जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता” कहकर संतोषी माता की प्रशंसा की जाती है और उनके सेवकों को सुख-सम्पति प्रदान करने की प्रार्थना की जाती है। दूसरी पंक्ति “सुर-मुनि आरती उतारें, भक्तिभाव से मन हरें, ज्ञान-विज्ञान प्रकाशिका, प्रेम-प्रिया कहलाएं” में संतोषी माता के भक्तों को समर्पित होने का वर्णन है।
संतोषी माता की आरती / Santoshi Mata Ki Aarti में प्रस्तुति कैसे की जाती है?
संतोषी माता की आरती / Santoshi Mata Ki Aarti में प्रस्तुति समर्पित होती है, जिसमें संतोषी माता के प्रमुख समर्पक (पुजारियों) द्वारा 16-16 मन्त्रों का जाप किया जाता है। प्रस्तुति के समय, आरती / Aarti के प्रथम मन्त्र “जय संतोषी माता” के बाद, संतोषी माता के प्रमुख स्वरूपों की पूजा-अर्चना होती है। इसके बाद, आरती के मन्त्रों के जाप के साथ-साथ पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य (प्रसाद) और मिठाई समेत विभिन्न प्रकार की समर्पित होती हैं।
संतोषी माता के प्रमुख भक्तों ने इसका प्रस्तुतिकरण कैसे किया?
संतोषी माता / Santoshi mata की प्रमुख भक्ति-प्रकल्प (projects) में से एक ‘Santoshi Mata Vrat’ है, 1975 में ‘Jai Santoshi Maa’ नामक फिल्म के प्रसारण के समय शुरू हुआ था। इसके माध्यम से, संतोषी माता की प्रस्तुति को बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंचाया गया। ‘Santoshi Mata Vrat’ में 16-16 मन्त्रों का जाप करने की परंपरा है, जिसमें संतोषी माता की पूजा-पाठ, कथा-कहानी, आरती, प्रसाद (नैवेद्य) समेत होते हैं।
संतोषी माता की आरती / Santoshi Mata Ki Aarti को किस अवसर पर पढ़ा जाता है?
संतोषी माता की आरती / Santoshi Mata Ki Aarti (संतोषी माता के 16-16 मन्त्रों के जप) के समय प्रस्थित होने पर प्रक्रिया के अंत में पढ़ी जाती है। ‘Santoshi Mata Vrat’ को चार शुक्रवार (Friday) के दौरान 16 सप्ताह (weeks) तक मनाया जाता है, जिसमें संतोषी माता / Santoshi mata की प्रस्तुति, पूजा-पाठ, कथा-कहानी, आरती, प्रसाद (नैवेद्य) समेत होते हैं।
Santoshi Mata Ki Aart / श्री संतोषी माता की आरती हिंदी भाषा में, एक संक्षेप्त और सुंदर निष्कर्षा
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ।
अपने सेवक जन की,
सुख सम्पति दाता
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
सुन्दर चीर सुनहरी,
मां धारण कीन्हो ।
हीरा पन्ना दमके,
तन श्रृंगार लीन्हो ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
गेरू लाल छटा छबि,
बदन कमल सोहे ।
मंद हंसत करुणामयी,
त्रिभुवन जन मोहे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
स्वर्ण सिंहासन बैठी,
चंवर दुरे प्यारे ।
धूप, दीप, मधु, मेवा,
भोज धरे न्यारे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
गुड़ अरु चना परम प्रिय,
तामें संतोष कियो ।
संतोषी कहलाई,
भक्तन वैभव दियो ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
शुक्रवार प्रिय मानत,
आज दिवस सोही ।
भक्त मंडली छाई,
कथा सुनत मोही ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
मंदिर जग मग ज्योति,
मंगल ध्वनि छाई ।
विनय करें हम सेवक,
चरनन सिर नाई ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
भक्ति भावमय पूजा,
अंगीकृत कीजै ।
जो मन बसे हमारे,
इच्छित फल दीजै ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
दुखी दारिद्री रोगी,
संकट मुक्त किए ।
बहु धन धान्य भरे घर,
सुख सौभाग्य दिए ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
ध्यान धरे जो तेरा,
वांछित फल पायो ।
पूजा कथा श्रवण कर,
घर आनन्द आयो ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
चरण गहे की लज्जा,
रखियो जगदम्बे ।
संकट तू ही निवारे,
दयामयी अम्बे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
सन्तोषी माता की आरती,
जो कोई जन गावे ।
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति,
जी भर के पावे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ।
अपने सेवक जन की,
सुख सम्पति दाता ॥
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