हनुमानजी को समर्पित हनुमान चालीसा में हनुमान जी के पराक्रम और बुद्धिमता का वर्णन किया गया है। गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा लिखी हनुमान चालीसा का आज विश्व में करोड़ो लोग रोज पाठ करते हैं। हनुमान चालीसा में तुलसीदास जी ने हनुमानजी के बचपन से लेकर रामायण काल के दौरान किए गए उनके अनेक और अद्भुत पराक्रमी किस्सों का वर्णन किया है। हनुमान जी को भगवान श्री राम का सबसे बड़ा भक्त कहा जाता है। हनुमानजी के पृथ्वी पर जनम लेने का कारण भी भगवान श्री राम की भक्ति और सेवा करना था, और ऐसा कहा भी जाता है कि हनुमानजी को दुनियाँ में सबसे प्रिय है उनके आराध्य भगवान श्री राम। हनुमान चालीसा में तुलसीदास जी ने हनुमान जी द्वारा भगवान श्री राम के लिए उनकी अमूल्य भक्ति का वर्णन किया है। जहां उन्होंने एक चौपाई में लिखा है, भीम रूप धरि असुर सँहारे रामचंद्र के काज सवाँरे अर्थात कैसे हनुमानजी ने अपना स्वरुप विकराल करके उन्होंने असुरों का संहार किया, और भगवन श्री राम जी का काम किया। आपको बता दें कि निरंतर हनुमान चालीसा का पाठ करने से दुख दूर होते हैं, मनुष्य का भय दूर होता है, बल और बुद्धि प्राप्त होता है, और साथ में आपके मन को शांति भी प्रदान होती है। नीचे दिए गए लिंक से आप Hanuman Chalisa Song Download कर सकते हैं।
जानिए हनुमानजी का जनम कहाँ हुआ था
हनुमानजी का जन्म माता अंजनी और वानर राज केसरी के घर हुआ था। मान्यताओं के अनुसार, माता अंजनी को यह वरदान मिला हुआ था कि उनका होने वाला पुत्र भगवान शिव का अंश होगा। इसलिए हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार माना जाता है कि वह भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार हैं। हनुमानजी को अमरता वरदान भी प्राप्त है, और ऐसा भी कहा जाता है, कि वह आज भी पृथ्वी लोक में रहते हैं। इसलिए हनुमानजी को पृथ्वी लोक में रहने वाले सप्त-चिरंजीवी की सूची में स्थान प्राप्त है, ये सात वह चिरंजीवी है जो अजर है अमर हैं।
जानिए क्यों जरुरी है हनुमान चालीसा का पाठ
हनुमान चालीसा में 40 चौपाई है जिन्हे पढ़ने से किसी भी भक्त को साहस शक्ति और पराक्रम जैसी अनुभूति होती है। हनुमान चालीसा का निरंतर पाठ करने से माना जाता है की सभी कष्ट और परेशानी दूर हो जाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो केवल हनुमान चालीसा का निरंतर पाठ करे हनुमानजी उसपर अपनी कृपा सदैव बनाए रखते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार, मंगलवार के दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था। इसी कारण इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है और हर संकट से छुटकारा मिल जाता है। आपको बता दें कि हनुमान चालीसा में 40 छंद हैं जिसके कारण इसको चालीसा कहा जाता है। यदि कोई भी इसका पाठ करता है तो उसे चालीसा पाठ बोला जाता है। ऐसे में निरंतर हनुमान चालीसा का पाठ करने से दुख दूर होते हैं, मनुष्य का भय दूर होता है, बल और बुद्धि प्राप्त होता है, और साथ में आपके मन को शांति भी प्रदान होती है।
कैसे लिखी गयी Hanuman Chalisa
एक समय की बात थी, गोस्वामी तुलसीदास जी मथुरा नामक शहर की ओर जा रहे थे, लेकिन अंधेरा होने से पहले वह आगरा नामक एक अन्य शहर में रुक गए। जब आगरा में लोगों को पता चला कि तुलसीदास वहाँ हैं, तो वे सभी उन्हें देखना चाहते थे। जब राजा अकबर ने तुलसीदास के बारे में सुना तो उन्होंने अपने सलाहकार बीरबल से पूछा कि बताओ तुलसीदास कौन है। बीरबल ने कहा कि रामचरित मानस का अनुवाद करने वाले व्यक्ति रामभक्त तुलसीदास जी हैं। अकबर ने कहा कि वह भी तुलसीदास के दर्शन करना चाहता है। बादशाह अकबर ने अपने सैनिकों से तुलसीदास जी को संदेश देने को कहा। संदेश में कहा गया कि राजा चाहते हैं कि तुलसीदास जी लाल किले पर आएँ। लेकिन तुलसीदास जी, जो भगवान श्री राम से बहुत प्रेम करते थे, उन्होंने कहा कि वे राजा या लाल किले से कुछ लेना-देना नहीं चाहते। इसलिए, उन्होंने विनम्रता से ‘नहीं’ कहा और लाल किले पर नहीं गए। इस बात का पता चलने पर अकबर ने क्रोध में आकर गोस्वामी तुलसीदास जी को बंदी बना कर जेल में डलवा दिया। इसके बाद फतेहपुर सीकरी के कारागार के कारावास में ही तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में हनुमान चालीसा लिखी थी। उसी दौरान फतेहपुर सीकरी के कारागार के आसपास ढे़र सारे बंदर आ गए। जहां उन्होंने बड़ा नुकसान किया, तब मंत्रियों की सलाह मानकर बादशाह अकबर ने तुलसीदास जी को कारागार से मुक्त करने का आदेश दिया था।
इसके परिणामस्वरूप 40 दिन के समय अंतराल में तुलसीदास जी को कैदी ग्रह से रिहा कर दिया गया था, इसी बीच तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा को पूर्ण रूप से लिखा था। कारागार से छूटने के बाद तुलसीदास जी ने कहा जैसे हनुमान जी ने मुझे कारागार के कष्टों से छुड़वाकर मेरी सहायता की है उसी तरह जो भी व्यक्ति कष्ट में या संकट में होगा और इसका पाठ करेगा, उसके कष्ट और सारे संकट दूर होंगे। इसको हनुमान चालीसा के नाम से जाना जायेगा।
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