हनुमान जी भगवान राम के सबसे बड़े भक्त थे, इसी कारण उन पर हमेशा श्री राम की कृपा रहती है। जिनपर कृपा राम की हो उनके भक्त, भला किसी संकट में कैसे रह सकते हैं। हनुमान चालीसा का स्मरण करने वालों पर सदा हनुमान जी की कृपा बनी रहती है। इस आर्टिकल में हनुमान चालीसा बंगाली भाषा में उपलब्ध है अगर आप Hanuman Chalisa Bengali PDF प्राप्त करना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
हनुमान जी का भगवान राम के प्रति स्नेह वर्णन
हनुमान जी का जन्म श्री राम के महत्वपूर्ण कार्यों में योगदान हेतु हुआ था। हनुमान जी इस बात से भलीभांति परिचित थे। तभी से हनुमान जी भगवान राम के नाम स्मरण करने लगें और उनसे मिलने की राह देखने लगे। रामायण जैसे ग्रंथों में जब हनुमान जी प्रभु राम से पहली बार मिले तो अति प्रसन्न हुए, और उनका अपार प्रेम पाकर हनुमान जी भगवान राम के प्रेम में डूब गए। तब से तन और मन से उनकी सेवा में कार्यरत हो गए।
हनुमान जी का महाभारत में योगदान
हनुमान जी ने संसार में हर छेत्र में अपना योगदान दिया है। जिस प्रकार हनुमान जी का जिक्र रामायण में है, उसी प्रकार हनुमान जी ने महाभारत में भी काफी योगदान दिया है, चलिए कुछ कथाओं के अनुसार उनके योगदान को जानते हैं।
गरुण और सुदर्शन चक्र के अहंकार का तोड़कर
एक समय की बात है जब भगवान कृष्ण अपने महल में विश्राम कर रहे थे, और वही गरुण और सुदर्शन चक्र उनकी सेवा में पहरेदारी कर रहे थे। तभी गरुण ने भगवान कृष्ण से अपने गति में श्रेष्ठ होने का जिक्र किया और इसके साथ ही सुदर्शन चक्र ने भी युद्ध में खुद को सबको पराजाति करने वाला योद्धा बताया। इसके चलते भगवान कृष्ण ने इन दोनो के अहंकार को चूर करने का मन बनाया और गरुण से हनुमान जी को न्यौता देने को कहा और साथ ही कहा की महल में उनके प्रिय प्रभु श्री राम और माता सीता उनसे मिलने के इच्छुक हैं। इसके साथ सुदर्शन चक्र को पहरेदारी का काम सौंप दिया।
गरुण भगवान कृष्ण की आज्ञा को मानते हुए हनुमान जी के पास पहुंच गए और उनसे चलने का अनुरोध किया। लेकिन हनुमान जी ने उनसे कहा, महाशय आप चलिए, मैं आपके पीछे आता हूं। गरुण वहां से जाते हुए, मन में यह विचार करने लगे की यह वृद्ध ना जाने कब तक महल पहुंचेगा, मैने अपना काम कर दिया है अतः मुझे चलना चाहिए। जब गरुण महल पहुंचे तो हनुमान जी वहां पहले से ही मौजूद थे। इस दृश्य को देखकर गरुण अचंभित रह गए, और अत्यंत लज्जित हुए।
तब श्री राम का रूप धारण किए कृष्ण भगवान ने हनुमान जी से पूछा आप महल के अंदर बिना किसी आज्ञा के कैसे पहुंच गए। तब हनुमाना जी ने कृष्ण भगवान के सामने हाथ जोड़कर कहा हे प्रभु क्या मुझे आपसे मिलने से कोई रोक सकता है? इस सुदर्शन चक्र ने मुझे रोकने की तनिक कोशिश की थी लेकिन मैं इसे अपने मुख में लिए ही आ गया।
इस तरह से गरुण और सुदर्शन चक्र के अहंकार का नाश हो गया। जिसमे हनुमान जी का सबसे बड़ा योगदान था।गुजराती में हनुमान चालीसा के लिए यहां क्लिक करें|
युद्ध के दौरान अर्जुन की रक्षा में योगदान
एक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने हनुमान जी को महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन के रथ पर विराजित होने की आज्ञा दी थी। जिसके परिणामस्वरूप हनुमान जी ने अर्जुन के रथ पर विराजित होकर उनकी रक्षा का कार्य भार संभाला था।हनुमान जी की कहानी के लिए यहां क्लिक करें|
हनुमान चालीसा को बंगाली भाषा में पढ़ें {PDF}
बंगाल में हनुमान जी के अनेकों विख्यात मंदिर है और वहां के अनेकों लोग हनुमान जी की पूजा अर्चना करते हैं, वहां के अनेकों लोग बंगाली भाषा में चालीसा का जाप करते हैं। अगर आप बंगाली भाषा में हनुमान चालीसा ढूंढ रहें है तो यहां आप पूरी चालीसा PDF File में मौजूद है जिन्हे आप आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।