Durga Ki Aarti : हिंदू धर्म में नवरात्रि जैसे पर्व में मां दुर्गा का नाम सबसे ज्यादा प्रचलित होता है। नवरात्रि जैसे पर्व में माता अपने नौ रूप धारण करती हैं इन रूपों में मां दुर्गा ने महिषासुर के सभी सैनिकों और असुरों का वध किया था। अपने अंतिम रूप में आकर मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया था। इस घटना के उपरांत हिंदू धर्म में नवरात्रि जैसे पर्व को श्रद्धा और भक्ति भावना से मनाया जाता है। यहां पर Durga Ki Aarti का उल्लेख किया गया है, जिसे आपको जरूर पढ़ना चाहिए और इससे मिलने वाले चमत्कारी फायदों का स्मरण करना चाहिए।
दुर्गा और महिषासुर की कहानी
प्राचीन कथा के अनुसार एक रंभ नामक राक्षस हुआ करता था। वह सभी असुरों का राजा था। एक दिन की बात थी जब रंभ ने किसी जलाशय के निकट एक मनमोहित भैंस को देखा। उसको देखकर रंभ के मन में वासना की भावना जागृत हो गई जिसके कारण उसने भैंस के साथ शारीरिक संबंध स्थापित कर लिए परिणामस्वरूप महिषासुर का जन्म हुआ था।
महिषासुर ने अमर होने के लिए ब्रम्हा जी की कठोर तपस्या की थी परिणामस्वरूप उसे देवताओं से भी अधिक बल की प्राप्ति हो जाती है, इसके पश्चात महिषासुर देवताओं पर घोर अत्याचार करने लगता है। विपदाओं से परेशान होकर देवतागण शिव जी और विष्णु भगवान के पास जाते है और सहायता की गुहार लगाते है। तब भगवान ने देवताओं को बताया महिषासुर का वध स्त्री के हाथो होना है।
तब दुर्गा माता ने महिषासुर के वध का निर्णय लिया। अकेली दुर्गा माता ने महिषासुर से युद्ध शुरू कर दिया। जिसमे हजारों सैनिक और बलशाली राक्षस युद्ध के संग्राम में मौजूद थे। यह युद्ध लगभग 9 दिनों तक चला जिसमे सभी असुर मारे गए। आखिर में 10 वे दिन दुर्गा माता के हाथो महिषासुर का वध हो गया।
दुर्गा जी की आरती के फायदे
दुर्गा माता की आरती करने वाले सदा कष्टों से दूर रहते हैं, दुर्गा मां की आरती से अनेक फलों को प्राप्ति होती है, यहां बताए अनेक फायदों को आगे पढ़ें।
- दुर्गा जी की आरती करने पर भौतिक, आध्यात्मिक, और भावनात्मक संतुष्टि मिलती है।
- मां दुर्गा की आरती करने से मन को अशांत मन को शांति मिलती है।
- जो कोई मनुष्य मां दुर्गा की आरती करते हैं उन्हें सदा अपने दुश्मनों और जीवन में होने वाली परेशानियों से लड़ने की शक्ति मिलती है।
- दुर्गा मां की आरती करने से घर में होने वाली आर्थिक परेशानियां खत्म हो जाती है।
- जीवन में होने वाली निराशा, वासना, असफलता जैसी परेशानियां धीरे धीरे ठीक होने लगती है।
- दुर्गा जी के भक्तो के अनुसार मन में होने वाली नकरात्मकता जड़ से खत्म हो जाती है।
- जो भक्त मां दुर्गा की आरती सच्चे मन से करता है उसे किसी प्रकार की कमी नहीं रहती।
दुर्गा जी की आरती करने की सही विधि
दुर्गा जी की आरती करना बड़ा ही आनंदमय सुख है, जो कोई व्यक्ति मां दुर्गा की आरती पूरे विधि विधान से करता है, उनके घर में सदा मां दुर्गा का वास रहता है। अगर आप दुर्गा जी की आरती विधि के बारे में जानना चाहते हैं तो आगे पढ़ें।
- दुर्गा जी की आरती करते समय 3,5,7 की संख्या में रूई की बाती का दिया जलाना चाहिए।
- पूजन की थाली में रूई की बाती का दिया और साथ में कपूर जलाकर मां दुर्गा की आरती करनी चाहिए।
- दुर्गा जी की आरती करते समय हमें आरती की थाली घड़ी की दिशा दिशानुसार ही घूमनी चाहिए।
- मां दुर्गा की आरती करते समय शंख, घंटी और तालियां बजाकर उनका अभिनंदन करना चाहिए।
- दुर्गा जी की आरती करते समय पूजा की थाली में पुष्प, कपूर, चावल मौजूद होना चाहिए क्योंकि यह शुभ माना जाता है।
- दुर्गा जी की आरती समाप्त होने के बाद अपने दोनों हाथों को दिए के चारो तरफ घुमाए और अपने माथे, कान पर लगाकर माता का आशीर्वाद लेना चाहिए।
- जो व्यक्ति दुर्गा माता की आरती नवरात्रि के दिनों में इन विधि से करता है उन पर हमेशा माता दुर्गा की कृपा बनी रहती है।
Maa Durga Ki Aarti Hindi में पढ़ें
मां दुर्गा की आरती करते समय, उनके मंत्रो का उच्चारण करना बहुत ही लाभप्रद साबित होता है। यहां आप मां दुर्गा की आरती को पूरा पढ़ सकते हैं।
दुर्गा माता की आरती / Durga ki Aarti
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे,सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥